करो या मरो नारा किसने दिया था? – Karo Ya Maro Ka Nara Kisne Diya Tha

karo ya maro ka nara kisne diya tha: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने की मांग करते हुए, ‘भारत छोड़ो भाषण’ 8 अगस्त 1942 को ‘करो या मरो नारा‘ महात्मा गाँधीजी ने दिया था। उनका भाषण बॉम्बे (जिसे अब मुंबई के नाम से जाना जाता है) के गोवालिया टैंक मैदान पार्क (जिसे अब ‘अगस्त क्रांति मैदान’ के नाम से जाना जाता है) में दिया गया था, जिसे गांधीजी के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान इस नारे का प्रयोग किया गया था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने औपचारिक रूप से 9 अगस्त, 1942 को इस नारे की शुरुआत की।

जानकारी के लिए आपको बता दे की गांधीजी ने यह भाषण दो भाषाओं में दिया था। पहले उन्होंने हिन्दी में भाषण शुरू किया और अन्त में अंग्रेजी में उसको संक्षेप में भी कह दिया।

karo ya maro ka nara kisne diya

जैसा की हमने आपको ऊपर बताया था की ‘करो या मरो नारा‘ महात्मा गाँधीजी ने दिया था। जिसके कुछ अंश आपको बताना चाहेंगे –

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1. प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करने से पहले मैं आप सभी के सामने एक या दो बात रखना चाहूँगा, मैं दो बातो को साफ़-साफ़ समझना चाहता हूँ और उन दो बातों को मैं हम सभी के लिये महत्वपूर्ण भी मानता हूँ। मैं चाहता हूँ की आप सब भी उन दो बातों को मेरे नजरिये से ही देखे, क्योंकि यदि आपने उन दो बातों को अपना लिया तो आप हमेशा आनंदित रहोंगे।

2. मैंने अपने आत्मसम्मान को नही बदला है।आज भी मैं हिंसा से उतनी ही नफरत करता हूँ जितनी उस समय करता था। बल्कि मेरा बल तेज़ी से विकसित भी हो रहा है। मेरे वर्तमान प्रस्ताव और पहले के लेख और स्वभाव में कोई विरोधाभास नही है। वर्तमान जैसे मौके हर किसी की जिंदगी में नहीं आते लेकिन कभी-कभी एक-आध की जिंदगी में जरुर आते है। मैं चाहता हूँ की आप सभी इस बात को जाने की अहिंसा से ज्यादा शुद्ध और कुछ नहीं है, इस बात को मैं आज कह भी रहा हूँ और अहिंसा के मार्ग पर चल भी रहा हूँ।

3. यह एक महान जवाबदारी है। कई लोग मुझसे यह पूछते है की क्या मैं वही इंसान हूँ जो मैं 1920 में हुआ करता था, और क्या मुझमे कोई बदलाव आया है। ऐसा प्रश्न पूछने के लिये आप बिल्कुल सही हो। मैं जल्द ही आपको इस बात का आश्वासन दिलाऊंगा की मैं वही मोहनदास गांधी हूँ जैसा मैं 1920 में था।

हमने ऊपर आपको महात्मा गाँधी के भाषण के कुछ अंश आपके सामने रखे है।

  • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का सबसे शक्तिशाली नारा “भारत छोड़ो आंदोलन” था। वह आह्वान और आदेश जो महात्मा गांधी ने 77 साल पहले भारत के ब्रिटिश शासकों को दिया था।
  • इस देश की जनता के लिए उनका आह्वान था: “करो या मरो”। भारत छोड़ो आंदोलन के भाषण में उन्होंने भारतीयों से दृढ़ निश्चय के लिए आह्वान करते उन्होंने ये नारा दिया था।
  • यह नारा ज्यादातर ब्रिटिश सरकार की दमनकारी प्रथाओं का विरोध करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। एक साथ काम करने और स्वतंत्रता के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रेरित किया था।
  • गांधीजी ने “करो या मरो” का नारा देकर भारत के आम लोगों को एक साथ लड़ने के लिए प्रेरित किया।
  • उन्होंने भारत के ग्रामीण गरीबों के साथ पहचान के निशान के रूप में हाथ से बुने हुए धोती को अपनाया।
  • मोहनदास करमचंद गांधी एक भारतीय वकील और राजनीतिक नैतिकतावादी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए सफल अभियान का नेतृत्व करने और बाद में दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आंदोलनों को प्रेरित करने के लिए अहिंसक प्रतिरोध का इस्तेमाल किया।

करो या मरो नारा किसने दिया था? (Karo Ya Maro Ka Nara Kisne Diya Tha)

महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 को करो या मरो का नारा दिया था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था और 30 जनवरी 1948 को 78 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। गांधीजी ने “करो या मरो” का नारा देकर भारत के आम लोगों को एक साथ लड़ने के लिए प्रेरित किया।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न-

1. करो या मरो नारा किसने दिया था?

उत्तर- महात्मा गाँधीजी ने ‘करो या मरो का नारा’ दिया था।

2. महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था?

उत्तर- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था।

3. करो या मरो’ का नारा कब दिया गया?

उत्तर- महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 को करो या मरो का नारा दिया था।

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